He was born in November 1904 in Jaipur Rajasthan.
पंचानन माहेश्वरी का Birth राजस्थान के जयपुर शहर में नवंबर 1904 में हुआ था ।
Panchanan Maheshwari rose to become one of the most distinguished botanist (प्रतिष्ठित वनस्पतिशास्त्री) not only of India but of the entire world.
माहेश्वरी साहब केवल भारतवर्ष के ही नहीं बल्कि समस्त विश्व के अत्यंत प्रतिष्ठित और ख्यातिप्राप्त Botanist रहे हैं ।
He moved to Allahabad for higher education where he obtained his D.Sc.
अपने Higher education के लिये वो अलाहाबाद गये और वहा पर उन्होने D.Sc की उपाधी को हासील किया।
यहा समझनेवाली बात ये है की *D.sc क्या है ?* ...
तो D.Sc का full form ... Doctor of Science है । और ये Post-Doctoral Degree है यानी Doctorate करने के बाद दी जानेवाली Degree है।
जो Candidate अपनी खुद की Research को Publish करता है उसे D.Sc से सन्मानित किया जाता है ।
During his college days, he was inspired by Dr W. Dudgeon, an American missionary ( धर्म-प्रचारक ) teacher, to develop interest in Botany and especially morphology.
कॉलेज के दिनों से ही माहेश्वरी साहब ... अमेरीकन मिशनरी Teacher डॉ . डब्ल्यू . इजिऑन से inspire होकर उन्होने Botany में Especilly ... Morphology में interest लेना शुरू कीया ।
His teacher once expressed that, "if his student progresses ahead of him, it will give him a great satisfaction ." These words encouraged Panchanan to enquire "What he could do for his teacher in return."
इनके शिक्षक ने एक बार अपने विचारों को इस प्रकार व्यक्त किया कि यदि उनका कोई विद्यार्थी प्रगति करके उनसे भी ऊपर निकल जाता है तो उन्हें इससे अत्याधिक संतोष प्राप्त होगा । अध्यापक के इन शब्दों ने पंचानन को प्रोत्साहित किया और वह उनसे पूछ बैठे कि बदले में उनके लिए वह क्या कर सकते हैं ।
He worked on embryological aspects and popularised the use of embryological characters in taxonomy (वर्गिकी विज्ञान).
Panchanan Maheshwari साहबने embryological aspects पे कार्य किया।
और उन्होने हीं Taxonomy में embryological characters के उपयोग को Popular भी किया है ।
He established the Department of Botany in University of Delhi as an important centre of research in embryology and tissue culture.
Maheshwari साहब ने Delhi University में Department of Botany को establish किया ।
Department of Botany in Delhi University is now very important research centre in embryology and tissue culture.
He also emphasised ( give importance ) the need for initiation of work on artificial culture of immature embryos. These days, tissue culture has become a landmark in science.
माहेश्वरी साहबने immature embryos के artificial culture पर कार्य शुरआत करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया ।
इन दिनो, tissue culture विग्यान में landmark साबीत हुआ हैं ।
His work on test tube MAHESHWARI fertilisation and intra-ovarian polination won worldwide acclaim.
He worked on test tube and discover Maheshwari fertilization with these also discover intra-ovarian pollination which won worldwide acclaim.
उन्होने test tube पर कार्य किया और Maheshwari fertilization की खोज की साथ ही साथ ovary के अंदर होनेवाले pollination को भी खोजा .... इस कार्य के कारण विश्वभर में इनकी जयजयकार हुई ।
He was honoured with fellowship of Royal Society of London (FRS), Indian National Science Academy and several other institutions of excellence.
रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन ने इन्हें ( FRS ) फैलोशिप , इंडियन साइंस एकेड्मी तथा अन्य उत्कर्ष संस्थानों ने इन्हें सम्मानित किया ।
He encouraged general education and made a significant contribution to school education by his leadership in bringing out the very first textbooks of Biology for Higher Secondary Schools published by NCERT in 1964.
उन्होनें सामान्य शिक्षा को encouraged किया और स्कूली शिक्षा में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
उन्हीं के leadership में एनसीईआरटी ने वर्ष 1964 में हायर सैकेंडरी स्कूल के लिए Biology की पहली किताब publish की ।
Nice Blog Sir
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